हम कौन है

हम कौन है

भारतीय राजनैतिक एवं सनातन संस्कृति के अवमूल्यन की जो प्रक्रिया पिछले 62 वर्षों में भारतीय जन-जीवन में जो हास हो रहा है उसमें सुधार करने के लिये अक्षर प्रभात पत्रिका निकालने पर विचार किया गया ।

अक्षर प्रभात का मुख्य उद्देश्य – आज के वातावरण में युवाओं को पारंपरिक भारतीय सनातन संस्कृति से उसके मूल रूप में परिचय
कराना, ताकि वे अपनी सनातन संस्कृति के गरिमापूर्ण सौन्दर्य एवं वैभवशाली ज्ञान की महिमा को सिर्फ जाने ही नहीं, बल्कि आत्मसात
भी करें उसके प्रति संवेदनशील भी रहें एवं समृद्ध बनें, भारतीय सनातन संस्कृति हजारों हजार वर्षों से मानवीय अभिव्यक्ति का मुख्य साधन
रहा है, विभिन्न आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा साधक, संत, महात्मा देश एवं विश्व में जाकर साक्षात् प्रदर्शन करते रहे है और करते रहेंगे उनका मूल
उद्देश्य विश्व का कल्याण मात्र ही रहा है।

भारत की यह सोच- हमें दुनिया (विश्व) की सरहदों से क्या मतलब हमारा संदेश मोहब्बत का है जहाँ तक पहुँचे, सरहदों में बटी
मानवीयता को अपने शब्दों के जरिये शांति और भाईचारा का संदेश देना ही है। इसलिये भारत में सभी मतों को आत्मसात किया है जो
मानवता के प्रति सच्ची भावना प्रदर्शित करती है।

अक्षर प्रभात का अर्थ

अक्षर प्रभात का अर्थ है ?

अक्षर प्रभात का अर्थ है।
संसार में कभी क्षर न (विभाजित /मृत) होने वाला ज्ञान
विज्ञान। भारत वर्ष कोई 1947 में पैदा हुआ देश नहीं है। हजारों साल
की तपस्या से अप्वेषित धर्म एवं सनतन संस्कृति तथा उसे बनासे रखने
वाले नियम इसे “इंडिया” बनाने से समाप्त थोडे ही हो जायेगें ?

यह अंगेजी (मित्र देशों की द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की सांठ-गांठ
थी) की चाल थी जो कि भारत के दो टुकडे कर इण्डिया और
पाकिस्तान बनाया। पाकिस्तान तो मि. जिन्ना और इस्लामियों के साथ
अंदरूनी समझौते के अर्न्तत था और भारत के दूसरे टुकडे का नाम देश
में दंगे कराकर भय तथ लूट के मालौल में “इण्डिया’ नाम इसलिये भी
रखा गया ताकि देश की जनता हमेशा गुलाम की जाये और विदेशी
भक्त बनी रहें ? क्योंकि सैकडों साल से देश के लोगों को “इण्डी
नाम” से गुलामों के रूप में विदेशी मंडियों में बेचा जाता था।

“इण्डिया” नाम ऐसा बताया जाता है। इसे सिद्ध करने के लिये एक
पुस्तक भी लिख दी। इण्डिया की खेज (Discovery of India)
जिसमें इण्डिया की भाषा, वेष-भूषा, संस्कृति, शिक्षा, अर्थव्यवस्था एवं
शौर्य शुन्य था और अत्यंत रूप आत्महीनता प्रदर्शित की गई थी।
आखिर सालों से तैयार किया मानव मस्तिष्क शुष्क नहीं होने वाला हम
अपने-अपने देश हित के कार्य में लगे है। और आध्यात्म एवं सनातन
का पुनर्जागरण करना है यही नव्यमानवतावाद है। और प्रत्येक
देशभक्त भारतीय का परम कर्तव्य है। भारत की योगभूमि है। इस
संसार में योग सिर्फ स्वस्थ रहने की कला नहीं है योग अगर आध्यात्म
का मूल उपयोग कर सके तो वह विश्व ही नहीं ब्रह्ममाण्ड के दर्शन ने
तो जग जाहिर कर दिखाया।

01.

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02.

अक्षर प्रभात का प्रयास

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आपका सहर्ष स्वागत है। अपने-आपको व्यक्त करने का परिचित होने के इस अवसर को हाथ से न जाने दें इसमें विभिन्न प्रकार की
^सामाजिक, धार्मिक, व्यक्तिगत और सभी प्रकार की चर्चाओं का आयोजन किया जाता है साथ ही आपके सुझाव, विचारों को भी स्वीकार
किया जाता है। चिंतन, चेतना, अभिव्यक्ति और आत्म व्यक्ति… जिसे हम अपनी एकमात्र पत्रिका में भी आपको सम्मानपूर्वक स्थान देकर
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